Monday, September 8, 2014

मदमस्त हाथी - Intoxicated elephant


वाक़ई मज़े में है ये मदमस्त हाथी 
या उन्मादी हो गया है ये जीवंत साथी?
दुनिया इसके खिलाफ मगर फिर भी इसका मन साफ़
समझो जल उठी है इसके जीवन में सद्चिदानन्द की बाती 
जाग उठा है ज़ोरबा के मन आँगन में 
फिर कोई नया एक बुद्ध 
मंद-मंद मुस्कुरा के देखे है वो दुनियावी तमाशा 
करे है वो अविनाशी नृत्य 
बजा-बजा के हैरतअंगेज़ ढोल और ताशा 
लिखे है पल-पल वो 
एक नई उमंग और उत्सव से भरी प्रेम की पाती 
ये दुनिया पित्तल दी मायावी फिल्म की भाँती...

What is in your mind?
Thanks or burden?
Whatever it is, your love wants to hear your heart.
Say it, fear Him not
or else,      
AS YOU WISH:

समझ सको तो समझ लो दिल से 
पर समझ सकने वाली बात ही ये कहाँ !!
समझ - समझ के जो समझ को ना समझे
ऐसी समझदारी से भरे नासमझ आशिक़ है कहाँ !! 
दिल लुटाने में जो मज़े हैं वो इज़्ज़त लूटने में कहाँ !!
जान देने में जो लुत्फ़ है वो जिस्म देने में कहाँ !!
रूह के जज़्बात हैं ये प्यारे
महसूस करने में जो तरंगें हैं वो समझने में कहाँ !!
समझ सको तो समझ लो इश्क़ को पर तुम में वो समझ ही कहाँ !! 
इश्क़वालों की दुनिया में अक्लवालों का 'काम' है कहाँ !!

 


Man is bad case....isn't it?

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