Wednesday, April 13, 2011

हे भगवान्..!!!



इंसानों का रचा हुआ
भरम है भगवान्

दुनिया का सबसे बड़ा
झूठ है भगवान्

जो है ही नहीं
उस से आशा कैसी - लड़ाई कैसी..??

कमजोर बनाये जो इंसा को
वो ताक़त है भगवान्...

क्या आस्तिक और क्या नास्तिक
फंसे हुए हैं सब इस चक्रव्यूह में

जो है वो ज़िन्दगी
जो नहीं वो भगवान्...

हे भगवान्...
हे भगवान्...
हे भगवान्..!!!

कुछ भी मांगने-देने की
ना सूरत ना सीरत है मेरी...,

बस एक ज़िन्दगी है गुनाह भरी
जो जी लेता हूँ मर-मर कर..!!


मक्कारी की हद तो देखिये जनाब...,

गुनाह करें वो और इलज़ाम लगाने को ज़िन्दगी..!!


सच्चे दोस्त फ़क़त सच्चों
को ही नसीब होते हैं...,

हमने तो मियां
कभी कौव्वों को मोती चुगते नहीं देखा..!!


अहंकारी हैं वो
जिन्हें ये ख्याल है की वो
दूसरों को सुखी या दुखी कर सकते हैं...,

चींटी ये सोच रही है मियां
की वो न होती तो इस दुनिया का क्या होता..!!



विचार पवित्र-अपवित्र होते अगर
तो सारे विचारशील कभी न कभी
बुद्ध हो ही जाते...,

टूटा जो द्वैत का भरम
तो गौतम जंगल से सुभद्रा की ओर चले..!!





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