Monday, September 14, 2009

Kyun...

Man is a bad case....isnt it?
सोच है फ़क़त एक सोच, ये फरेब-ओ-गम की बातें,
नज़र आई हकीकत जो हुए रूबरू हकीकत से हकीक़तन..

शुक्रगुजार हूँ ऊन ज़ख्मो का जो शर्मसार कर गए,
सूरत बिगाड़ने का क्यूँ दूँ इल्जाम जब सीरत संवार गए..

कसा है खुदी ने खुदा की खुदाई पे क्या खूब तमाचा,
पूजता भी है और पूछता भी है के ये क्यूँ है और वो क्यूँ है...

मांगी थी दिल से एक दुआ के दिखा दे कोई राह,
शिकवा अब ये के सफ़र-ए-मंजिल ऐसा क्यूँ है और वैसा क्यूँ है...

बन्दों से हुई जो मोहब्बत तो बंदगी हो गयी,
सवाल ये कैसा के ये ऐसा क्यूँ है और वो वैसा क्यूँ है...

ग़मों से दोस्ती जो हुई तो गम गम न रहे 'मनीष',
ताज्जुब सिर्फ ये के ये हैरत-ओ-अंगेज़ करिश्मा हुआ तो हुआ क्यूँ...

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