Thursday, June 18, 2009

This is for YOU...from within
i hope its not as USELESS...

कहते हैं वो की जीवन व्यर्थ है,
जानते हैं जो वो कहते की अर्थ है,
समझदार करते अर्थ का अनर्थ हैं,
बाल-सुलभ पूछते के क्यूँ ये birth है,
जान पाते वो ही जो समर्थ हैं,
कारणों का नहीं यहाँ कोई dearth है,
भरी पड़ी है वसा जिसका एक अंश ये earth हैं...,

यूँ समझो के करता हमसे "वो' flirt है,
ना समझो तो समझो के बेडा गर्क है,
जीने में नहीं किसे भी पर यहाँ हर्ज है,
चुपचाप करता बंदा ये अर्ज है,
कह देना चाहे फिर की ये तो एक Jerk है,
नियत में नहीं पर इसके कोई कर्क है,
रहता भी ऐसे जैसे कोई Lurk है,
इश्क भी क्या खूब एक मर्ज है,
कुबूल हर वो दर्द कहें जिसे सब नर्क है,
जो कुछ है बस एक ओंकार सत है,
फिर ज़माने में पर्त दर पर्त है,
क्यूँ का सवाल खुद ही Quirk है,
करते वही आता नहीं जिन्हें कोई रक्स है,
ज़हन में बसता दो आलम का शक है,
दीवानों का हुआ कब कोई तर्क है,
सांस लेने में हुआ किसे कोई उज्र है...,

मत जी जीवन को जैसे कोई वज्र है,
इसी जीवन में छिपा हर पल वो हर वक़्त है,
मान लो ना... के वो ही factor-X है,
तुम हो अक्स और वो एक यक्ष है,
असीम भी तो शुन्य का..Zero का ही लक्ष्य है....

Please note that the write up uses the 26 alphabets of the english language except for the letter ' i ' for rhyming...for example
Arth
birth
(c)samarth
Dearth
Earth & so on to signify that LIFE IS NOT TO BE THOUGHT OF BUT TO BE LIVED WITH PLAYFULNESS.
Hope...it makes sense...